गांव में ही निम्न प्रकार के पिसे हुये मसालों का बिज़नेस शुरू करें और कमाएं लाखों रुपए | ( (How to Start a Powdered Spices Business)

गांव में ही निम्न प्रकार के पिसे हुये मसालों का बिज़नेस शुरू करें और कमाएं लाखों रुपए या | Pise huye Masalon ka Business kaise shuru karen | (How to Start a Powdered Spices Business in Village in hindi )

पिसे हुये मसालों का बिज़नेस कैसे शुरू करें




कुछ मसाले ऐसे होते हैं जो स्वयं में एक विशेष गुण, खुशबू व स्वाद रखते हैं। इनके साथ किसी अन्य मसाले का मिश्रण नहीं किया जाता, ये मसाले स्वयं में अपना एक विशेष महत्व रखते है। इनके बिना भोजन अधूरा ही समझा जाता है। अत: ये मसाले हर घर, रेस्टोरेन्ट अर्थात प्रत्येक रसाई की जरूरत है। ये विशिष्ट मसालें घरों में साबुत मसालों के रूप में लाकर सिलवटे पर पीस कर इसतेमाल भी किये जाते हैं लेकिन समय की मांग के अनुरूप अब लगभग सभी ग्रहणियाँ इन्हें पाउडर रूप में ही इस्तेमाल करती हैं। पिसे हुये मसालों का निर्माण व व्यापार करने से पहले हमें उनकी गुणवता, विशिष्टियों तथा उनके उपयोगों के बारे में समझना जरूरी है ताकि आप अपने उत्पाद की गुणवता बनाकर बाजार में सुदृढ़ रह सकें। बहुत से उत्पादक व उनके कर्मचारी यह नहीं जानते कि किस मसाला विशेष की क्या रासायनिक विशेषताएं हैं उस मसाले विशेष को उसके किन गुणों के कारण भोज्य पदार्थों में डाला जाता है। फार्मूलेशन की इस अज्ञानता और लापरवाही की पराकाष्ठा तो यह है कि अनेक उद्योग संचालक और फैक्ट्री मैनेजर्स भी मसालों के विविध सामान्य और विशिष्ट गुणों के बारे में विज्ञान-सम्मत और अपटूडेट जानकारी नहीं रखते। ऐसे लापरवाह और अज्ञानी उत्पादन के द्वारा पीसे और पैक किए गये मसाले प्रायः बड़े और समझदार उत्पादकों की अपेक्षा काफी सस्ते और कम मात्रा में बिक पाते हैं क्योंकि वे मसाले ग्राहक को पूर्ण सन्तोष दे पाते हैं। यही कारण है कि इस आर्टिकल के माध्यम से हम विविध मसाला पाउडर्स तैयार करने के साथ-साथ उनके गुण-दोषों, विशिष्ट उपयोगों और विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कर रहे हैं।

1. अमचूर का उद्योग (बिज़नेस) कैसे करें  (Dry Mango Business )

विभिन्न मसालों में व भोज्य पदार्थों में अमचूर का प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसकी सही पहचान करना जरूरी है। रंग में काली, आम के छिलकों और गुठलियों से युक्त छोटे आकार के आँधी से टूटे आमों से तैयार अमचूर बहुत ही अधिक सस्ता बिकता है। परन्तु आप इस अमचूर को भूलकर भी न पीसिए इसका रंग-रूप और स्वाद तो बेकार होता ही है सरकार इसे खाने के अयोग्य और स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद भी मानती है सरकारी कानून के अनुसार यह खटाई अशुद्ध और मिलावटी मानी जाती है अत: भूलकर भी इस प्रकार की खटाई को न पीसें क्योंकि सेम्पिल भर जाने पर आप भारी दण्ड के भागी तो बनेंगे ही आपकी फैक्ट्री सील भी की जा सकती है। बरसात के मौसम में जब हवा में बहुत अधिक नमी हो या बारिश पड़ रही हो तब भी खटाई नहीं पीसी जा सकती। सबसे बड़ी बात तो यह है कि ओवन या कड़ाही में गर्म करके आप अमचूर को सुखा भी नहीं सकते इसे केवल सूर्य के प्रकाश में ही आप सुखा देते हैं। आग पर गर्म करने पर यह उल्टा अधिक मुलायम और सीलनयुक्त होने लग जाती है। अमचूर एकदम बारीक पाउडर के रूप में पीसा जाता है। इसे आप लगभग हल्दी पाउडर जैसा ही बारीक पीसिए, धनिए के समान मोटा नहीं। पर्याप्त कड़ी परन्तु भूरभुरी होने और काफी बारीक पीसे जाने के कारण खटाई को ग्राइण्डर में कई बार पीसना पड़ता है। पहले ग्राइण्डर में अमचूर को मोटा-मोटा पीसा जाता है ओर उसमें जरा भी सीलन है तो इस आधे पिसे अमचूर को सूखा कर फिर बारीक पीसा जाता है अमचूर की सबसे बड़ी विशेषता तो यह है कि इसे ग्राइण्डर पर कितना ही महीन और कितनी भी बार क्यों न पीसा जाए इसके गुणों में खास कमी नहीं होती। वेसे भी अमचूर की मुख्य विशेषता व्यंजन को खट्टा (Sour) करना ही है इसलिए इसे खटाई कहा जाता है। कच्चे आम को काट-पीट और सुखा करके इसको बनाया जाताहै इसी कारण इसे अमचूर भी कहा जाता है।

2. काली मिर्च के पाउडर का उद्योग (बिज़नेस) कैसे शुरू करें (Black Pepper powder  Business)

कालीमिर्च, तेजपत्ते और दालचीनी गरम मसाले और हर प्रकार के मीट मसालों का तो अनिवार्य तथा महत्वपूर्ण घटक हैं ही लगभग सभी रेडीमेड मसालों में भी ये तीनों ही वस्तुएँ कम या अधिक मात्रा में डाली जाती हैं। ये वे मसाले हैं जिनका प्रयोग यूरोप और अमरीका में भी बड़ी मात्रा में किया जाता है। वहाँ तो इनका प्रयोग मीट और सब्जियों व चटनियों में ही नहीं, बिस्कुटों, मिठाइयों (Toffees) और स्वीट डिशेज में भी किया था। वास्तव में कालीमिर्च ही वह एकमात्र वस्तु थी जिसकेपिसे हुए मसाले  कारण कोलम्बस भारत पहुँचने के लिये नया रास्ता खोजने निकला था और अमरीका पहुँच गया था और बाद में इनकी प्राप्ति के लिए ही वास्कोडिगामा पूरी दुनिया का चक्कर काटकर भारत आया। यह हकीकत बयान करने का हमारा एकमात्र उद्देश्य यही है कि आप इन्हें मात्र एक मसाला ही न समझें इनके औषधीय गुणों भी आपको हो जाए।

कालीमिर्च भी लाल मिर्ची के समान ही तीक्ष्ण चटपटी एवं कटु तो होती हैऔर इसमें स्वाद, भूख व पाचनशक्ति बढ़ाने वाले गुण भी उसके ही समान होते हैं परन्तु यह लाल मिर्च के दोषों से मुक्त है। यह साँस की बीमारी, उदरशूल और कफ का नाश तो करती ही है पेट के कीड़ों को भी समाप्त करती है। यद्यपि यह पित्त को बढ़ाने वाली है परन्तु कण्ठ को साफ कर खोलने और आवाज सुरीली करने में बेजोड़ है। यही कारण है कि आज कालीमिर्च पाउडर की मांग बाजार में दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है क्योंकि अनेक व्यक्ति लाल मिर्चों के स्थान पर कालीमिर्च का प्रयोग करने लगे हैं। कालीमिर्च पीसना तो बहुत आसान है मात्र इन्हें ग्राइण्डर में पीसना पड़ता है और ये पिस भी सरलता से जाती हैं। परन्तु इन्हें खरीदते समय विशेष सावधानी बरतनी आवश्यक है क्योंकि बहुधा घटिया और बदरंग कालीमिर्ची पर मिनरल आयल चुपड़कर उन्हें चमकीला बना दिया जाता है। इस प्रकार की मिर्च खरीदना, बेचना और पीसना कानूनी जुर्म है और यह असावधानी आपको कानून के शिकंजे में फंसा सकती है अत: विशेष रूप से सावधानी परम आवश्यक है।

3. जीरा पाउडर का उद्योग (बिज़नेस )कैसे शुरू करें  (Cumin Powder Business )

जीरा पाउडर बनाने से पहले उसके किस्म व गुणों के बारे में जानना नितान्त आवश्यक है, वैसे पिछले अध्याय में जीरे के विशिष्ट गुणों का वर्णन किया जा चुकाहै फिर भी इस अध्याय में पाउडर बनाने से पूर्व कुछ आवश्यक सावधानियों जो रखनी चाइये उसका वर्णन इस अध्याय में किया जा रहा है। जीरा मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है-काला जीरा जो स्याह काले (Dark Black) रंग का होता है ओर कलौंजी भी कहलाता है। इसके ठीक विपरीत होता है सफेद जीरा जो आकार में काफी बड़ा और मटमैले सफेद (Dull White) रंग हा होता है और सफेद जीरे के नाम से जाना जाता है। सबसे अधिक प्रयोग सलेटी मिश्रित भूरे रंग के जीरे का होता है। जब हम सामान्य रूप से जीरा कहते हैं तब हमारा अभिप्राय इसी सामान्य जीरे से होता है। यह जीरा मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है मोटा और बारीक। वास्तव में ये जीरे की दो नस्लें नहीं हैं मोटा जीरा उसी जीरे की साफ और शुद्ध (Fine) क्वालिटी है और बारीक जीरा इसका छना हुआ रूप।

सभी गरम मसालों में तो जीरा प्रधान रचक के रूप में डाला ही जाता है अन्य सभी रेडीमेड तैयार मसालों में भी जीरे का प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। अधिकांश मसाला मिश्रणों में जीरा भूनने के बाद पीसकर ही मिलाया जाता है जबकि गरम मसाले और कुछ अन्य मसाला मिश्रणों (Ready Made Spices) में इसे कच्चा पीस कर मिलाते हैं। भुने हुए जीरे को ग्राइण्डर पर पीसने पर तो इसके लगभग सभी गुण-धर्म नष्टप्राय हो ही जाते हैं इसलिए इसे खरल ही करना चाहिए। कच्चा जीरा भी खरल करना या पल्वीलाइजर पर पीसना ही अधिक अच्छा रहता है। स्वतंत्र रूप से जीरा पाउडर बहुत ही कम बिकता है क्योंकि दाल, सब्जी या मीट पकाते समय जीरा पाउडर नहीं डाला जाता, साबुत जीरे का छौंक या तड़का ही लगाया जाता है। जीरे की मनभावना महक और क्षुधावर्धक अर्थात् भूख बढ़ाने वाली शक्ति ने ही इसे लगभग प्रत्येक मसाला मिश्रण (Spices Compound) का एक अनिवार्य अंग बना दिया है। आयुर्वेद के अनुसार जीरा दृष्टि ओर मैधा (Eye-sight and Memory) को तेज करने वाला, गर्भाशय व अमाशय को शुद्ध करने वाला, पाचक व क्षुधांवर्द्धक तथा दस्तों को रोकने और पित्त को बढ़ाने वाला होता है। इसका स्वाद तीक्ष्ण, कटु एवं चटपटा होता है और सुगन्ध मनमोहक। कफ का नाशकर ज्वर एवं वायु विकारों का शमन करने की जीरे में अद्भुत क्षमता है ही गुल्म, अतिसार और शीत को भी शांत करता है। सफेद जीरे में भी लगभग उपरोक्त सभी गुण होते हैं और सामान्य जीरे के स्थान पर उसका प्रयोग नि:संकोच किया जा सकता है। काला जीरा खाद्य पदार्थों को

सड़ने से रोकने की क्षमता (Preservation Power) भी रखता है इसीलिए प्राय: अचारों में डाला जाता है।

4. धनिया पाउडर का उद्योग (बिज़नेस ) कैसे शुरू करें (Coriander Powder Business )

मसालों में सबसे अधिक मात्रा में प्रयोग पिसे हुए धनिए (Coriander Powder) का ही किया जाता है। सभी मसाला मिश्रणों में तो इसका प्रयोग किया ही जाता है प्रत्येक दाल, साग और सब्जी में भी बड़ी मात्रा में मोटा पिसा हुआ या बारीक कुटा हुआ धनिया डाला जाता है। धनिया पीसना बहुत ही अधिक आसान है। छोटे से छोटे ग्राइण्डर पर भी केवल एक बार ही पीसना पड़ता है। यह भार में अत्यन्त हल्का, खोखले और आसानी से तोड़े जा सकने वाले बीजों के रूप में तो होता ही है इसे पीसा भी काफी मोटा (Grainish) जाता है। अधिकांश व्यक्ति समझते हैं कि मसाले के रूप में धनिये का प्रयोग मात्र खाद्य पदार्थों को सुगन्धित करने के लिए ही किया जाता है। यदि आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो यह आपकी भूल ही है। यह भोजन को सुगन्धि तो प्रदान करता ही है उसे स्वादिष्ट और सुपाच्य भी बना देता है। स्वाद में मीठा होते हुए भी चटचटा और तिक्त होना इसका ऐसा गुण है जो अन्य किसी मसाले में नहीं पाया जाता। यह भोजन के प्रति रूचि तो जागृत करता ही है जठराग्नि को प्रदीप्त कर भोजन पचाने में मदद करता है। आंतो की सफाई और पेट की पाचन सम्बन्धी बीमारियों का इलाज करने और खुल कर पेशाब लाने में भी यह बेजोड़ मसाला है। धनिया कफ-पित्तनाशक, स्वांस, कांस, अर्श, आँव, दस्त व दाह जैसे रोगों को शांत करने वाला, पेट के कीड़ों को समाप्त करने वाला और खुलकर पेशाब लाने वाला प्रकृति का अनमोल उपहार है। धनिया मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। बारीक धनिया और मोटा धनिया। गहरे हरे रंग का, बारीक धनिया सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मोटा धनिया दो प्रकार का होता है हरे रंग का और पीले रंग का। पीले रंग का मोटा धनिया सबसे सस्ता ओर घटिया होता है जिसमें सुगन्धि तो कम होती है अपने अन्य गुणों में भी यह बहुत ही हीन होता है। धनिया पीसते और पैक करते समय नाममात्र की सावधानियाँ बरत कर आप उसके लगभग सभी गुणों को बड़ी सीमा तक सुरक्षित रख सकते हैं। बहुत बारीक नहीं कुछ मोटा ही धनिया पीसिए और ग्राइण्डर को अधिक गर्म भी मत होने दीजिए नहीं तो उसमें समाहित तेलीय अंश जल जायेगा। धनिया पीसने के तत्काल बाद ही उसे एयर टाइट पैक कर दीजिए अथवा हवा बंद डब्बे में रख दीजिए। हवा के सम्पर्क में आने या धूप लगने से पिसे हुए धनिए के सभी गुण समाप्त होने लग जाते हैं। हल्दी या नमक की तरह इकट्ठा धनिया पीस कर न रखिए पैक करते समय ताजा धनिया पीसना ही सर्वश्रेष्ठ रहता है। इस सामान्य सावधानियाँ का प्रयोग करके, आप बिना कुछ अतिरिक्त धन खर्च किए अपने धनिया पाउडर की क्वालिटी बड़ी सीमा तक सुधार सकते हैं।

5. लहसुन के  पाउडर का उद्योग (बिज़नेस )(Garlic Powder Business )

लहसुन एक मसाले के रूप में कई भोज्य पदार्थो में बेहतर स्वाद व जायका बढ़ाने के लिये उपयोग में लाया जाता है। चटनी, दाल अचार तथा मांसाहारी भोजन में इसका प्रयोग बहुत होता है। कुछ लोग दाल सब्जी में इसका छोंक भी लगी हैं। सिरको में बहेत्तर स्वाद बढ़ाने के लिये तथा आधुनिक भोज्य पदार्थो में वनस्पति के सूक्ष्म गुणों का सही जायका बढ़ाने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है कि भोजन में सही खनिज प्रदार्थो का समावेश बना रहे।
लहसुन में एक तरह की तीखी गन्ध होती है। जापान में इसकी गन्ध के लिए कई पेटेन्ट बनाये गये है। ताकि बेहतर तरह के लहसुन की पहचान हो सके। और इसमें किसी तरह के दाग-धब्बे वाले लहसुन न आ सके और लहसुन अपनी बेहतर खुशबू बनाये रख सके।  लहसुन को प्रकृति ने मुख्य रूप से दवाइयों के निर्माण के लिये बनाया है। कई तरह की आयुर्वेदिक यूनानी व ऐलोपैथिक दवाइयों में लहसुन का उपयोग होता है। यह उत्तेजना लाने, पसीना लाने वाली, कफ निकालने वाली, पाचन क्रिया तथा ताकत बढ़ाने वाली दवाओं में इस्तेमाल की जाती है। यह जब बाहरी रूप से प्रयोग किया जाता है तो जलन पैदा करता है, लहसुन का रसा कई तरह की पेट की बीमारियों को दूर करने वाली दवाइयों में प्रयोग किया जाता है, यह कई संक्रामक बीमारियों की रोकथाम करने वाली दवाओं में भी मिलाया जाता है। यह मिर्गी रोगी दवाओं में भी मिलाया जाता है।\

लहसुन पाउडर बनाने की विधि क्या है 

लहसुन पाउडर बनाने की विधि निम्न प्रकार से है उसमें निम्न प्रक्रियायें अपनानी पड़ती है।
1. सफाई
2. छिलाई
3. गन्धकयुक्त बनाना
4. सुखाना
5. पैकिंग
सफाई : बाजार से लहसुन लाकर उसको पानी की बौछारों रोटरी वासर से अच्छी प्रकार धोया जाता है ताकि इस पर लगी मिट्टी, धूलकण व अन्य प्राकृतिक रूप से आये दूषित कण साफ हो जायें। छिलका उतारना : छिलका उतारने के लिये पानी की बौछार करने के बाद कुछ देर तक सुखाया जाता है। इसकी छिलाई हाथों से करना उचित रहता है। छिलाई करने के बाद इसकी पुनः धुलाई की जाती है। गन्धकयुक्त करना : लहसुन का लम्बी अवधि तक बचाव करने के लिये उसे गन्धकयुक्त करना आवश्यक होता है। इसके लिये छिले हुये लहसुन की फलिर, पर सोडियम मेटासल्फाइट के घोल का छिड़काव किया जाता है। इसके घोल क छिड़काव करने से यह सब्जियों को लम्बे समय तक ताजा बनाया रख सकता है। यह सुखाने व रखरखाव करने तक की क्रिया तक लहसुन को सिकुड़ने व खराब होने से रोके रखती है। सुखाना : लहसुन की सुखाने की प्रक्रिया में इसकी नमी दूर करने के लिये तुलनात्मक गर्म हवा के बहाव का प्रयोग किया जाता है इसके लिये वाष्पीय सुखाने का यंत्र (Vacum Dehydrator) का प्रयोग किया जाता है इसके लिये 6x3” के लकड़ी के फ्रेम या जाली बनाकर उनको रैकों में रखकर वाष्पीय क्रिया द्वारा सुखाया
जाता है, सुखाने की यह क्रिया 45-50 सेन्टीग्रेट तापमान पर की जाती है। पैकिंग : लहसुन की सूखी फलियों की पैकिंग वायुरहित, टाईट वन्य किये हुये डब्बों में पैक किया जाता है, ताकि अन्दर की हवा बाहर न जा सके व बाहर की हवा अन्दर न घुस पाये। इस तरह उत्पाद लम्बे समय तक अपनी गुणवता बनाये रख सकता है। स्टोरेज : पैक किये डिब्बों को सूखी हुई जगह पर सही तापमान पर रखा जाता है, यदि पैक किये लहसुन को कम तापमान पर उचित व सूखी जगह पर रखा जाय तो यह बहुत तथा और भी, समय तक अपने गुण समेटे रख सकता है।

6. लाल मिर्च पाउडर का उद्योग (बिज़नेस ) (Chillie Powder Business )

लोगों में यह धारणा बनी है कि लाल मिर्च स्वास्थ्य को नुकसान करती हैं, हाँ यह बात सही है, लेकिन यदि सामान्य रूप में भोजन में इनका प्रयोग नित्य किया जाता रहे तो यह कोई नुकसान नहीं करती, यदि इनका अधिक प्रयोग किया जाता है तो यह आँखों की ज्योति (Eye-sight) पर धातक असर डालती है और बल एवं वीर्य को नुकसान करती है। यही नहीं लाल मिर्चों का असन्तुलित और अधिक मात्रा में लगातार प्रयोग करने पर पेशाब संबंधी बीमारियाँ अर्थात् मूत्र-रोग, खून में कुछ दोष उत्पन्न हो जाना, पेट में जलन और खुजली जैसे रोग भी हो सकते हैं। परन्तु लाल मिर्च ही क्या अति (Over-dieting) तो प्रत्येक वस्तु की बुरी होती है और लाल मिर्च भी इसका अपवाद नहीं है। क्षुधावर्द्धक और भोजन के प्रति रूचि जागृत करने के गुण और रूचिकर स्वाद होने के कारण ही भारत और एशिया-अफ्रीका के अनेक देशों में सभ्यता के शुरूआती दौर से ही लाल मिर्ची का प्रयोग किया जाता रहा है।
लाल मिर्च का प्रयोग मुँह के स्वाद व जायके के लिये सही मात्रा में किया जाय तो यह लाल मिर्च नुकसान कम फायदा अधिक करती हैं। लाल मिर्च भोजन के प्रति रूचि तो जाग्रत करती ही हैं यह कफ को दूर करने वाली और पित्त का नाश करने वाली भी होती हैं। जितनी अधिक किस्में लाल मिर्चा की होती हैं उतनी शायद अन्य सभी मसालों की कुल मिलाकर भी नहीं हो पाती। गहरे पीले (Golden yellow) रंग की बहुत कम लम्बी परन्तु पर्याप्त मोटी मिर्चे सबसे तीखी होती हैं और कम मात्रा में प्रयोग करने पर ही खाद्य पदार्थो को एकदम चटपटा बना देती हैं। परन्तु इनमें सभी बुराइयाँ तो बड़ी मात्रा में होती ही हैं शायद गुणों का अभाव भी रहता है इसीलिए सबसे घटिया
मानी जाती है। प्रायः खोमचे वाले और घटिया होटल और ढाबे ही इनका प्रयोग प्रयोग करते हैं और इन्हें एकदम बारीक पीसा जाता है। इनके ठीक विपरीत होती है मोटे और गहरे लाल रंग के छिलके तथा कम बीजों वाली मिर्ची ये मिर्च सब्जी को गहरे लाल रंग का तो बना देती हैं परन्तु इनमें तीखापन नाम मात्र का ही होता है। देगी मिर्च के नाम से पुकारे जाने वाली इन मिर्गों की बाजार में भारी मांग है और ब्याह-शादी तथा पार्टियों में यह बहुत अधिक प्रयोग की जाती है। रंग और स्वाद का पूर्ण सन्तुलन होता है पटना की मिर्च के नाम से प्रख्यात लम्बी, मध्यम मोटाई की और गहरे लाल रंग की मिर्ची में। इन्हें बारीक और मोटाऔर कई रूपों में तो पीसा ही जाता है कुटी हुई पर्याप्त मोटे मिर्च चूर्ण की भी बाजार में भारी मांग है और यह सबसे अधिक मंहगा बिकता है।

7. तेजपत्ते व दालचीनी का उद्योग (बिज़नेस )(Cassia and Cinnamon Business )

दालचीनी एक प्रकार के पेड़ की छाल होती है और तेजपत्ते उस पेड़ के पत्ते। ये गरम मसालों और रेडीमेड मसालों में मिलाए जाते हैं और तेजपत्ते का पाउडर तो बिकता है नहीं। दालचीनी पाउडर भी बुहत कम बिकता है और प्रायः दस या बीस ग्राम की छोटी थैलियों में ही पैक किया जाता है। मसालों में मिलाने के लिए इन्हें ग्राइण्डर के स्थान पर प्रायः खरल में ही पीसा जाता है और पीसने के बाद बारीक छलनी में छानना आवश्यक ही अनिवार्य भी है क्योंकि पेड़ की छाल और पत्ते होने के कारण इनमें रेशों की भरमार होती है। अच्छी तरह छानने के पश्चात तेज पत्ते व दालचीनी के पाउडर का 50 या 100 ग्राम वजन की थैलियों में पैक किया जाता है। यह एक गरम मसाला है सभी लोग इसको विशेषकर मांसाहरी भोजन बनाने में इस्तेमाल के लिये ही खरीदते है।

8. सौंफ पाउडर का उद्योग (बिज़नेस )कैसे  शरू करें  (Fennel Powder Business )


सौंफ एक अत्यन्त ठण्डी तासीर का धनिए से मिलता जुलता मसाला है। यह स्वाद में मीठी ओर चटपटी तो होती ही है। भोजन पचाने में भी सहायक होती है। रक्त को शुद्ध करने वाली, पित्त नाशक, वात-कफ के दोषों को दूर करने वाली और ज्वर, आंव और दस्तों के रोगों को शमन करने वाली है। यही कारण है कि मसाले के रूप में तो इसका प्रयोग किया जाता है। सौंफ दो प्रकार की होती है। गहरी हरी और एकदम बारीक सौंफ, जो काफी महंगी भी होती है, मसाले के रूप में प्रयोग नहीं की जाती भोजन के पश्चात् पान के स्थान पर खाई जाती है। मसाला इण्डस्ट्री
में मोटी सौंफ प्रयोग की जाती है। यह मोटी सौंफ भी दो रंगों की होती है गहरी हरी और पीली। हरे रंग की सौंफ श्रेष्ठ मानी जाती है। सौंफ को काफी मोटा ही कूटा या पीसा जाता है इसका पाउडर नहीं बनाया जाता। सौंफ के पाउडर की पैकिंन पिछले अध्याय (मसालों की पैकिग) की विशिष्टियों के अनुरूप पैक करके बाजार में भेजा
जाता है पैकिंग की व्यवस्था इस प्रकार की बनी रहे ताकि पाउडर लम्बे समय तक अपने गुण व विशिष्टियों को बनाये रख सकें।

9. सौंठ पाउडर उद्योग (बिज़नेस )कैसे शुरू करें (Dry Ginger Powder Business )


अदरक को सुखाकर सोंठ तैयार की जाती हैं। इसका हल्दी के समान एकदम बारीक पाउडर बनाया जाता है और हल्दी के समान ही यह पिसती भी काफी कठिनाई से है। इसमें काफी मात्रा में रेशे होते हैं, यही कारण है कि पीसने के बाद इसे कई बार छानना भी पड़ता है। यह भी एक कारण है कि जिन मसाला मिश्रणों में सोंठ और हल्दी डाली जाती है इन्हें साबुत की बजाय पाउडर के रूप में पीसकर ही मिलाते हैं। सोंठ का प्रयोग गरम मसालों, मीट मसालों ओर दाल मसालों में ही प्रायः ही किया जाता है क्योंकि यह भूख बढ़ाने वाली और भोजन को शीघ्र पचाने वाली तो होती है पेट के कीड़ों को समाप्त करने में भी समर्थ है। ज्वर, खांसी, कफ, वायु विकार और उदरशूल को ठीक करने के गुणों के कारण औषधि के रूप में भी सोंठ पाउडर का प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। सोंठ का पाउडर बनाने के लिये सबसे उत्तम तरीका है कच्चे अदरक को बाजार से या सीधा किसानों से खरीदा जाय। अदरक को अच्छी तरह साफ करके उसको गांठों पर से तोड़कर छोटे टुकड़ों में करके उसकी छाल निकाली जाती है। छाल निकालते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि यह गहरा न कटे ताकि इसमें मौजूद सुगन्धित तेल न निकलने पाये छीलने के बाद इसकी पुनः धुलाई करके इसे स्वच्छ चटाई पर अलग-अलग बिखेर कर धूप में सुखा दें। इसके टुकड़ों को अलग-अलग ट्रे में भी सुखाया जा सकता है जो खाचों में लगे हों ताकि जमीन पर से उसमें धूल कण न आ सकें। इसको सूखाने में 7 से 8 दिन लगते है। सुखने पर यह सौंठ बन जाती है फिर सौंठ को ग्राइण्डर में पीसकर पाउडर बनाकर अच्छी तरह पैक करके बाजार में भेजा जाता है।

10. राई (सरसो )पाउडर का उद्योग (बिज़नेस )कैसे शरू करें (Mustard Powder Business )


राई पाउडर ऐसा मसाला है जो भारतीय व्यंजनों में अकेला या अन्य मसालों के साथ मिलाकर सभी तरह के शाकाहारी व मांसाहारी व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। राई का प्रयोग राजस्थान, गुजरात, बंगाल और उड़ीसा में ही प्रमुख रूप मसाले के रूप में किया जाता है। अनारदाने के समान मछली की तरी या दालों और सब्जियों को खट्टा बनाने के लिए राई-पाउडर का प्रयोग किया जाता है। पीले रंग के होते हैं यह छोटे-छोटे गोल दाने। इसमें प्राय: सरसों की मिलावट कर दी जाती हैं। अत: खरीदते समय विशेष सावधानी आवश्यक है। इसमें बड़ी मात्रा में तेल होता है अतः ग्राइण्डर या पल्वीलाइजर में नहीं खरल में ही पीसी जाती है।
राई पाउडर दो प्रकार से तैयार किया जाता है-
1. पूरे राई के बीजों का पाउडर
2. छिलका रहित राई पाउडर
राई विभिन्न व्यन्जनों जैसे सालन, दाल, चटनी, अचार, समोसा के मसाले, पकोड़ा के मसाले, सांभर नारियल चटनी व अन्य दक्षिण भारतीय व्यन्जनों में अकेला ही प्रयोग किया जाता है। राई के पाउडर की निर्माण प्रक्रिया
राई के पाउडर निर्माण की प्रक्रिया इस प्रकार है-
1. उच्च श्रेणी के राई के बीजों का खरीदना।
2. जिस मात्रा में पाउडर बनाता है उसके लिये उचित वजन करके बीज को अलग करना।
3. राई के बीजों को ऑटोमैटिक बाइब्रो स्क्रीन से धूल मिट्टी, कंकर-पत्थर व अन्य बाहरी तत्वों को अलग करना।
4. राई के दानों की गुणवता की जांच करना।
5. राई को बारीक/महीन पिसाई करना।
6. राई के पाउडर को नाइट्रोजन से साफ की हुई प्लास्टिक की प्रिन्टेड थैलियों में ऑटामैटिक फिलिंग मशीन से भरकर क्वालिटी चैकिंग के पश्चात मार्केट में को भेजा जाना।

11. हल्दी पाउडर का उद्योग (बिज़नेस )कैसे शरू करें  (Turmeric Powder Business )


हल्दी के गुण व विशेषताओं के बारे में पिछले अध्याय में विस्तारपूर्वक बतलाया जा चुका है फिर भी इस अध्याय में हल्दी पाउडर के विषय में अन्य सरल जानकारी दी जा रही है ताकि हल्दी का निर्माण व व्यापार करते समय सावधानी बनाये रख सकें। जिस मसाले को पीसकर पाउडर बनाने में सबसे अधिक श्रम, समय और शक्ति व्यय होती है वह हल्दी ही है। इसे कूटा या खरल तो किया ही नहीं जा सकता, मात्र बड़े माप के ग्राइण्डर अथवा माइक्रोपल्वीलाइजर (Heavy-duty Grinder or Micropulbilizer) द्वारा ही पीसा जा सकता है। इन ग्राइण्डर पर इसे पीसा जाए तो कई बार पीसना तो पड़ेगा ही, ग्राइण्डर की कार्यक्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है।
हल्दी को पीसना इतना श्रमसाध्य और अधिक समय खाने वाला कार्य है कि कुछ वर्षों पूर्व तक जब महिलाएं घर पर ही मसाले खरल में हाथ से कूट लेती थीं उस समय भी हल्दी को आटा पीसने की चक्की पर ही पीसने के लिए विवश थीं। आज भी डोमेस्टिक मिक्सर कम ग्राइण्डर (घरेलू मिक्सी) पर अल्प मात्रा में मिर्च, निया, गरम मसाला आदि पीस लेने वाले परिवार भी इसी कारण बाजार से पिसी हुई हरली अर्थात् हल्दी पाउडर लेने के लिए विवश हैं। अन्य पिसे हुए मसाले न खरीदने वाले परिवार भी हल्दी पाउडर ही खरीदते हैं यही कारण है कि बाजार में इसकी भारी मांग है।
 मसालों के रूप में तो इसका प्रयोग होता ही है। अनेक आयुर्वेदिक औषधियाँ और मरहमों के निर्माण में भी इस प्रयोग किया जाता है। त्वचा का रंग निखारने वाली क्रीमों और त्वचा दोष निवारक सौन्दर्य प्रसाधनों में भी हल्दी पाउडर (Fine Turmeric powder) का बड़ी मात्रा में प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेदिक ग्रन्थों और प्राचीन धार्मिक शास्त्रों के अनुसार हल्दी कटु तिक्त, रूक्ष, गर्म तासीर वाली, रसना को तृप्त करने वाली और हल्दी अर्थात् भोजन
को सुपाच्य व सुस्वादु बनाने वाला मसाला है। औषधि के रूप में कफ, प्रमेह, स्खेत कुष्ठ या सफेद दागों, सभी प्रकार के चर्म रोगों, चौट आदि के होने वाले दर्द और सूजन को समाप्त करने में पूर्ण समर्थ है। भोजन अर्थात् दाल साग में पर्याप्त मात्रा में हल्दी का प्रयोग करने से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है, इसके प्रयोग से पेट या आमाशय में कीड़े उत्पन्न नहीं हो पाते, वायु विकार (Gas-Trouble) में आराम मिलता ही है। साथ ही साथ, देव-पूजा में भी काम आने वाली पवित्र वस्तु भी माना गयी है। पूजा-पाठ और मांगालिक अवसरों पर हल्दी का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाता है। हल्दी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। अरबी की तरह पर्याप्त मोटी परन्तु कम लम्बी गांठों के रूप में, इसीलिए इसे गांठा हल्दी कहते हैं। यह अधिक बढ़िया नहीं मानी जाती है। भिण्डी के समान पतली और लम्बी हल्दी श्रेष्ठ मानी जाती है और सांगली की हल्दी सर्वश्रेष्ठ। हल्दी खरीदते समय विशेष ध्यान रखने की बात
यह है कि यह रंगी हुई (Coloured) न हो। कुछ बेईमान दुकानदार सड़ी-गली, अधिक पुरानी अथवा बदरंग हल्दी गांठों पर गहरा पीला रंग चढ़ा देते हैं। यह रंग जहरीला होता है और इस प्रकार की हल्दी को पीसना और पैक करना एक संगीन अपराध है अत: इस बारे में विशेष सावधानी बरतना नितान्त आवश्यक है। अत: हल्दी जब भी खरीदें अपने विशेष व्यापारी, आढ़ती व उत्पादक से ही हल्दी खरीदें ताकि आप जो भी माल तैयार करें वह शुद्ध व ताजा हो ताकि ग्राहक की सन्तुष्टि के साथ आप स्वयं भी सन्तुष्ट रह सकें कि आपका उत्पाद उच्च श्रेणी का है।

दोस्तों इस आर्टिकल में  हमने जाना 11 तरह के पीसे  हुए मसालों के बिज़नेस के बारे में। ..... 
अगले आर्टिकल में हम जानेंगे मसालों के बिभिन्न 6 प्रकार के बिज़नेस के बारे में ..... 


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