उद्योग का पंजीकरण तथा ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन क्यों है आवश्यक ,कहाँ से कराएं ?( Business ka resistrations kaise karayen) | LICENCES AND REGISTRATIONS

उद्योग का पंजीकरण तथा ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन क्यों है आवश्यक कहाँ से कराएं | LICENCES AND REGISTRATIONS OF BUSINESS




किसी भी स्तर पर कोई भी उद्योग प्रारम्भ करते समय उद्योग विभाग से अनापत्ति प्रमाण-पत्र ( No Objection Certificte)और उसके बाद इण्डस्ट्रियल लाइसेंस लेना अनिवार्य है।इनके न लेने पर आप आगे कोई लाइसेंस तो क्या, ट्रेडमार्क के रजिस्ट्रेशन और सेल टैक्स नम्बर लेने के लिए आवेदन तक नहीं कर पायेंगे। जब तक आप उद्योग निदेशालय के स्थानीय कार्यालय में अपने उद्योग या व्यवसाय का पंजीकरण नहीं कराते, कानून की दृष्टि में उसका कोई अस्तित्व ही नहीं होता। आपका उद्योग सदैव अवैध और गुमनाम ही बना रहेगा। न तो कोई बैंक या सरकारी संस्थान आपको ऋण देगा और न ही आप फैक्ट्री का बीमा तक करवा पायेंगे। लाइसेंस न लेने पर न तो आप अपने द्वारा निर्मित धूप-अगरबत्तियों एवं अन्य उपादानों का प्रचार कर पायेंगे और न ही उनकी सटीक पैकिंग। आप अपने कार्यस्थल का पूरा पता तक रैपरों और डिब्बियों पर देने से डरेंगे; क्योंकि आप बिना लाइसेंस लिये छिपकर फैक्ट्री चला रहे हैं। यही कारण है कि सबसे पहले ये लाइसेंस अवश्य ले लीजिये।



प्रारम्भ में तो नहीं, परन्तु आगे कुछ वर्षों बाद जब आपका मार्केट जम जाता है और उपभोक्ता आपके ब्राण्डनेम और ट्रेडमार्क का नाम लेकर धूप-अगरबत्ती और आपके अन्य उत्पाद मांगने लगते हैं, तब इससे भी बड़ी समस्या उन व्यक्तियों के सामने आ जाती है, जो अपनी फर्म के नाम, ट्रेडमार्क और ब्राण्डनेमों का रजिस्ट्रेशन नहीं कराते। धूप-अगरबत्तियों का निर्माण एक ऐसा अद्भुत उद्योग जिसमें विकास की कोई सीमा नहीं। यदि सही योजना बनाकर कार्य किया जाये, तब एकाध लाख रुपये के कुल निवेश से कार्य प्रारम्भ करने वाले उद्यमी भी एकाध वर्ष के अन्दर ही अपने कुल निवेश से अधिक का व्यवसाय प्रति मास करने लगते हैं। विश्वास रखिये कि आपके जीवन में भी ऐसा समय अवश्य आयेगा, परन्तु इसके लिए आवश्यक है कि पूर्ण गुणवत्तायुक्त वस्तुओं का निर्माण तो करें ही, इनकी सटीक पैकिंग करने के साथ ही बिक्री के क्षेत्र को भी बढ़ाते रहें। जब आपका व्यवसाय सेट हो जायेगा, तब कुछ नकलची भी पैदा हो जायेंगे। इससे बचने का एकमात्र उपाय यही है कि अपनी फर्म का नाम, ट्रेडमार्क और ब्राण्डनेमों को प्रारम्भ में ही रजिस्टर्ड करवा लिया जाये। यद्यपि इन कार्यों का उत्पादन से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं, परन्तु भरपूर सफलता की प्राप्ति और उस सफलता को स्थायी बनाये रखने का आधार स्तम्भ हैं इस प्रकार की सावधानियां।

उद्योग निदेशालय से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (No Objection Certificate)

सभी प्रकार के लाइसेंस, फैक्ट्री के लिए प्लॉट या स्थान तथा ऋण आदि लेने के कार्यों की निश्चित प्रक्रियाएं हैं। इनमें सबसे पहला कार्य है अपने जिले में स्थित उद्योग निदेशालय के कार्यालय से अनापत्ति प्रमाण-पत्र, अर्थात् नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना। बोलचाल की भाषा में इसे अस्थायी प्रमाण-पत्र कहा जाता है। यह सर्टिफिकेट लेने के बाद ही आप अन्य किसी भी लाइसेंस, फर्म के नाम, ब्राण्डनेम व ट्रेडमार्क के रजिस्ट्रेशन, सेल्स टैक्स नम्बर और पावर तथा पानी के कनेक्शन के लिए आवेदन दे पायेंगे। बहुत ही आसान है यह कार्य, परन्तु इसके आवेदन के साथ आपको अपने उद्योग की प्रॉजेक्ट रिपोर्ट भी देनी होगी। यह प्रॉजेक्ट रिपोर्ट आप भारतीय टेकनिकल पब्लिकेशन, बिल्डिंग नं. 57, प्रथम मंजिल, गली राजा केदारनाथ, चावड़ी बाजार, दिल्ली-6 से भी तैयार करवा सकते हैं।


देश के सभी जिलों में राज्य सरकारों द्वारा प्रत्येक जिले के मुख्यालय में उद्योगों के विकास की सम्पूर्ण जिम्मेदारियों के वहन के लिए उद्योग निदेशालय या डायरेक्टरेट ऑफ इण्डस्ट्रीज नाम से विशेष कार्यालय खोले गये हैं। यह निदेशालय अपने जिले के सभी नये लगने वाले और चल रहे उद्योगों के सफल संचालन में सहायता प्रदान करता है। निर्णय स्थानीय स्तर पर लिये जाते हैं, अत: उद्यमियों के mलिए सबसे आसान रहता है इससे सहायता और सेवाएं लेना। इसका सबसे प्रमुख कार्य तो जिले में लगने वाले नये उद्योगों का पंजीकरण, अर्थात् रजिस्ट्रेशन करना है। वैसे नये उद्योगों के लिए भूमि या भवन आबंटित करना, मशीनें व कच्चा माल खरीदने में उद्योग संचालकों की सहायता करना और उद्योगों के लिए रियायती दर पर ऋण की व्यवस्था भी यह करता है। इसके प्रमुख अधिकारी को डायरेक्टर ऑफ इण्डस्ट्रीज कहा जाता है। आपको उद्योग लगाते समय ही नहीं, बाद में भी कदम-कदम पर इस अधिकारी की सेवाओं और सलाहों की आवश्यकता पड़ती रहेगी।

स्थायी पंजीकरण अर्थात् फैक्ट्री लाइसेंस कहाँ  से लें ?

अन्य आवश्यक लाइसेंस तो आपको उद्योग की स्थापना से पूर्व ही मिल जाते है, परन्तु जिला उद्योग निदेशालय में इस लाइसेंस के लिए आवेदन आप उत्पादन प्रारम्भ करने के बाद देंगे। इसके लिए वहां से मिलने वाला फॉर्म भरकर आपको डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर ऑफ इण्डस्ट्रीज के कार्यालय में जमा कराना होगा। वहां से अधिकारी आकर आपकी फैक्ट्री, गोदाम, स्टॉक और तैयार माल का निरीक्षण करते हैं। इनका मुख्य कार्य यह देखना होता है कि आपके यहां सरकारी नियमों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा और सभी मशीनें, बिजली की फिटिंग और भण्डार के लिए प्रयोग किये जाने वाले पात्र मानकों के अनुरूप हैं। वैसे आपके इस उद्योग में मशीनों अथवा प्रदूषण की तो कोई समस्या है ही नहीं, अत: सहज ही यह लाइसेंस भी मिल जाता है। वैसे तो तत्काल ही, परन्तु कुछ कमी होने पर उसे सुधारने के बाद उद्योग विभाग की ओर से आपको उद्योग चलाने का स्थायी लाइसेंस प्रदान कर दिया जाता है।

अन्य लाइसेंसों हेतु आवेदन कैसे करें 

मध्यम अथवा बड़े स्तर पर धूप-अगरबत्तियों का निर्माण करते समय इन पर भी सेल्स टैक्स लगता है। जिन उद्योगों में बड़ी मशीनों का प्रयोग होता है और दस से अधिक कर्मचारी कार्य करते हैं, उनमें फैक्ट्री एक्ट भी लगता है। इसके लिए आपको कर्मचारी राज्य बीमा निगम, अर्थात् ई०एस०आई० तथा प्रोविडेण्ट फण्ड के दफ्तरों में आवेदन पत्र देना होगा। इसी प्रकार सेल्स टैक्स आफिस में आवेदन पत्र देकर आपको जी०एस०टी० नम्बर ले लेने चाहिए। सभी कानूनी खानापूर्तियों के साथ ही उद्योग में नाम और दाम कमाने के लिए क्वालिटी कण्ट्रोल के कठोर नियमों का पालन और वस्तुओं पर गुणवत्ता का आई०एस०आई० अथवा अन्य चिह्न लेने का प्रयास भी आपको करना ही चाहिए। इन कार्यों में की गयी कोई भी भूल अथवा लापरवाही भविष्य में उद्योग के विकास में बाधा बनने के साथ ही अनेक परेशानियों का कारण भी बन सकती है।

फर्म के नाम, ट्रेडमार्क तथा ब्राण्डनेमों का चयन कैसे करें 

उपभोक्ताओं के मन-मस्तिष्क में वस्तु की गुणवत्ता और दिलकश पैकिंग के साथ ही फर्म के नाम, ट्रेडमार्क तथा उस वस्तु के ब्राण्डनेम और डिब्बी पर छपी तस्वीर का भी पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। परन्तु अन्य सभी उद्योगों से विपरीत की सीमा तक अलग है, इन नामों और ट्रेडमार्क की स्थिति । धूप और हवन सामग्री का प्रयोग मुख्य रूप से पूजा-पाठ करते समय और मन्दिरों में होता है। अगरबत्तियां पूजा के साथ-साथ, सामान्य रूप से सुगन्ध के लिए भी जलाई जाती हैं और हिन्दुओं के साथ-साथ अन्य धर्मों को मानने वाले भी जला लेते हैं। यही कारण है
कि अन्य उद्योगों में फर्म का छोटा, अंग्रेजी स्टाइल का या अंग्रेजी का ही नाम जहा सफलता में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, वहीं आपके इस उद्योग में एक कलंक के समान है। किसी सन्त, महापुरुष अथवा देवी-देवता पर आधारित नाम ही अधिक चलते हैं। इन नामों के साथ धूपबत्ती फैक्ट्री या अगरबत्ती फैक्ट्री तो आप लगाइये, परन्तु केमिकल वर्क्स, इण्डस्ट्री, एण्टरप्राइजेज जैसे शब्द भूलकर भी न लगाइये। ट्रेडमार्क के रूप में उसी देवी-देवता या सन्त का चित्र अधिक अच्छा रहेगा। यही स्थिति ब्राण्डनेमों की है और साथ ही डिब्बियों पर छापे जाने
वाले चित्रों की। आप और आपका संस्थान उपभोक्ताओं को धार्मिक और परम्परा प्रेमी लगें, यह इस उद्योग में त्वरित और स्थायी सफलता का मूल मन्त्र है।

फर्म के नाम, ट्रेडमार्क एवं ब्राण्डनेमों का रजिस्ट्रेशन कहाँ होगा 

इन तीनों ही वस्तुओं के रजिस्ट्रेशन का प्रधान कार्यालय मुम्बई में है। इसकी शाखाएं दिल्ली, कोलकता, चैन्नई तथा बंगलौर सहित अन्य कई नगरों में भी हैं। आप जितने ब्राण्डनेम तथा जो ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड करवाना चाहते हैं, उनकी आठ प्रतियों के साथ अपना आवेदन पत्र मुम्बई के प्रधान कार्यालय अथवा अपने क्षेत्र से सम्बन्धित ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन कार्यालय के अधिकारी को भेज दीजिये। इस कार्य के लिए किसी वकील या विशेष रूप से ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड करवाने वाली फर्म की सेवाएं लेना अधिक आसान और अच्छा रहता है तथा इस कार्य में अधिक
व्यय भी नहीं होता।

 ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के हेड आफिस का पता  क्या है

कन्ट्रोलर जनरल ऑफ पेटेण्ट, डिजाइन्स तथा ट्रेडमार्क गवर्नमेण्ट ऑफ इण्डिया आफिसेज बिल्डिंग,क्वींस रोड, मुम्बई-400001दिल्ली,एन०सी०आर०, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश तथा अन्य आस-पासके राज्यों में उद्योग प्रारम्भ करते समय आप अपना आवेदन दिल्ली कार्यालय मेंइस पते पर भी भेज सकते हैंट्रेडमार्क रजिस्ट्री आफिस,ओखला इण्डस्ट्रियल एस्टेट, नयी दिल्ली-110020

अपने ट्रेडमार्क का डिजाइन भेजते समय यह ध्यान रखें कि राष्ट्रीय झण्डा या किसी धार्मिक अथवा राष्ट्रीय चिह्न का प्रयोग ट्रेडमार्क के लिए अवैध है। इसी प्रकार अश्लील या जनता के मन में भ्रम उत्पन्न करने वाला, किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला अथवा अनैतिकता और कुरुचि का प्रचारक चिह्न भी ट्रेडमार्क के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। वैसे भी ट्रेडमार्क के रूप में सीधे-सादे मोहक और आसानी से याद हो सकने वाले निशानों का प्रयोग हो उचित रहता है। फर्म के नाम, ट्रेडमार्क और ब्राण्डनेम के रजिस्ट्रेशन में चार से छह मास तक
का समय लगता है। आप अपने आवेदन पत्र मुख्य कार्यालय में भेजें अथवा किसी शाखा कार्यालय में, आगे की सभी कार्रवाई मुम्बई स्थित मुख्य कार्यालय में होगी। आप जो भी ट्रेडमार्क और ब्राण्डनेम आदि भेजते हैं, उन्हें यह कार्यालय अपनी पत्रिका में प्रकाशित कर देता है। यह सूचना अन्य उद्यमियों तथा जनता को इसलिए दी जाती है कि आपके द्वारा चुना गया ट्रेडमार्क अथवा ब्राण्डनेम किसी अन्य निर्माता की नकल अथवा उनके ब्राण्डनेम और ट्रेडमार्क से मिलता-जुलता तो नहीं। तब वह व्यक्ति प्रकाशन तिथि से चार माह के अंदर निश्चित फ़ीस के साथ अपनी आपत्ति दर्ज करा है। 



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